लेखनी कविता - रस में डूब हुआ लहराता बदन क्या कहना - फ़िराक़ गोरखपुरी

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रस में डूब हुआ लहराता बदन क्या कहना / फ़िराक़ गोरखपुरी रस में डूब हुआ लहराता बदन क्या कहना करवटें लेती हुई सुबह-ए-चमन क्या कहना बाग़-ए-जन्नत में घटा जैसे बरस के ...

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